Wednesday, 31 August 2017

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Wednesday, December 13, 2017

मैं आपका नौकर हूँ, बैंगन का नहीं - Akbar birbal Ki kahaniya

एक दिन अकबर और बीरबल महल के बागों में सैर कर रहे थे| फले-फूले बाग को देखकर अकबर बहुत खुश थे| वे बीरबल से बोले, “बीरबल, देखो यह बैंगन, कितनी सुनदर लग रहे हैं!” इनकी सब्जी कितनी स्वादिष्ट लगती है! बीरबल, मुझे बैंगन बहुत पसंद हैं| हाँ महाराज, आप सत्य कहते हैं| यह बैंगन है ही ऐसी सब्जी, जो ना सिर्फ देखने में ब्लकि खाने में भी इसका कोई मुकाबला नहीं है| और देखिये महाराज भगवान ने भी इसीलिये इसके सिर पर ताज बनाया है| अकबर यह सुनकर बहुत खुश हुआ|

कुछ हफ्तों बाद अकबर और बीरबल उसी बाग में घूम रहे थे| अकबर को कुछ याद आया और मुस्कुराते हुए बोले, “बीरबल देखो यह बैंगन कितना भद्दा और बदसूरत है और यह खाने में भी बहुत बेस्वाद है|” हाँ हुज़ूर, आप सही कह रहे हैं बीरबल बोला| इसीलिये इसका नाम बे-गुण है बीरबल ने चतुराई से नाम को बदलते हुए कहा|

यह सुनकर अकबर को गुस्सा आ गया| उन्होंने झल्लाते हुए कहा,”क्या मतलब है बीरबल?” मैं जो भी बात कहता हूँ तुम उसे ही ठीक बताते हो| बैंगन के बारे में तुम्हारी दोनों ही बातें सच कैसे हो सकती हैं, क्या तुम मुझे समझाओगे? बीरबल ने हाथ जोडते हुए कहा,”हुज़ूर, मैं आपका नौकर हूँ बैंगन का नहीं”|

अकबर यह जवाब सुनकर बहुत खुश हुए और बीरबल की तरफ पीठ करके मुस्कुराने लगे|




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