Wednesday, 31 August 2017

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Sunday, December 31, 2017

Unity is strength best story in English by deshhindi.com


It is a matter of time that an immoderate elephant in the dense jungle of Banagiri had made a huge uproar. Someone considered someone because he was drunk in his strength

In Banagiri, there was a small happy world of a bird and a bird on a tree. Chidiya watched the golden dreams of the ninety-nine dear children sitting on the eggs. One day, the brutal elephant weighed, screaming broke the trees and came to him. Seeing it, he also broke the bird's nesting pad. The nest dropped down The eggs were broken and the elephant's feet fell from it

Chidiya and chida shouting could not do anything except shouting. After the elephant went, Chidiya chest started crying. Only then did the rigors come. He was a good friend of Chidiya. If the Kafodawi asked the reason for her cry, then she said all the story. Kaflawi dialect "There will not be anything in this way because of being immersed in gum. We have to do something to teach the elephant a lesson. "
Chidiya showed frustration "How can we fight a small creature with that powerful elephant?"
The Kafrodawi explained that "another one becomes eleven together. We will add our powers. "
"How?" Asked Chidiya

"One of my friends is a whirlwind called the thief. We should seek advice from him. "Chidiya and kathodawadi came from the whirlwind. "It's very bad!" Come, I have a frog friend, ask him for help. "
Now the three reached the edge of the lake, where she was a paddock. Bhanwarale told the whole problem. Frog Bharayya said in the voice: "Do not wait patiently for me to be patient here. I sit and think deeply. "
By saying this, the frog jumped into the water. After half an hour he came out of the water, his eyes were shining. He said, "Friends! There has been a great plan in my mind to destroy that killer elephant. Everyone will be contributing to it. "

As soon as the frog told its plan, all jumped happily. The plan was really amazing. The frog repeatedly explained everyone's own roll.

Just a few minutes away, he was jumping in a pale by eating choppy elephants and eating papal branches. The first work was of the whirlwind. He went to the elephant's ears and began to roam the sweet rage. After listening to the rage, the elephant became dazzling and closed the eyes and started to choke.

Then the woodpecker successfully did her job. She came and twisted both eyes of the elephant with sharp beak like her needle. The elephant's eyes broke out. He began to run away blindly and ran away.

As time went by, the wrath of the elephant was increasing. Due to not being visible from the eyes, the body was getting injured due to stumblings and collisions. The wounds were forcing him and screaming.

I will be grateful to you for a lifetime. You helped me so much. "
Maddok said "No need to thank. Friends come in handy for friends. "

One of the eyes burning in the eyes and screaming from the top- the throat of the screeching elephant dried up. She began to feel thirsty. Now she was looking for the only thing, water.
Madhak gathered many of his brothers and sisters and took them away and asked them to shatter away sitting on a very big pit. All the paddlers started shuffling.

Hearing elephant's ears was heard listening to the trumpet. He knew that frogs live near the source. He walked in the same direction

The trail was getting faster and faster. Thirsty elephant and ran fast
As soon as the elephant approached the pit, the tenants started thrashing with full force. The elephant went ahead and fell into a pit like a huge stone, where his life was not long before he could fly, thus the elephant killed in that ego ended.
Learning: 1. There is strength in one.
2. The late or the end of the agency will end.

Saturday, December 30, 2017

albert einstein biography and success story -अल्बर्ट आइन्स्टाइन की और सफलता की कहानी


★★★ आधुनिक भौतिक विज्ञान के जन्मदाता अल्बर्ट आइन्स्टाइन ने भौतिक विश्व को उसके यतार्थ स्वरूपों में ही समझने का प्रयास किया था। इस सम्बन्ध में उन्होंने कहा था कि “शब्दों का भाषा को जिस रूप में लिखा या बोला जाता है मेरी विचार पद्दति में उनकी उस रूप में कोई भूमिका नही है। पारम्परिक शब्दों अथवा अन्य चिन्हों के लिए दुसरे चरण में मात्र तब परिश्रम करना चाहिए जब सम्बंधिकरण का खेल फिर से दोहराया जा सके ”।

★★ अल्बर्ट आइन्स्टाइन का प्रारम्भिक जीवन -

अल्बर्ट आइन्स्टाइन का जन्म 14 मार्च 1879 को जर्मनी के उल्क नामक छोटे से कस्बे में हुआ था। उनके पिता का नाम हर्मन आइन्स्टाइन और माता का नाम पौलिन था। पौलीन को अपने पुत्र से बहुत प्यार था और कभी वो उसको अपने से दूर नही करती थी। एल्बर्ट तीन वर्ष का हुआ तो उसकी माता के लिए एक समस्या खडी हो गयी कि वो बोलता नही था। सामान्यत: तीन वर्ष के बालक तुतलाकर बोलना सीख जाते है। फिर भी माँ ने उम्मीद नही छोडी और उसे पियानो बजाना सिखाया। बचपन में एल्बर्ट शांत स्वाभाव का और शर्मीला बच्चा था और उसका कोई मित्र नही था। वह अपने पडोस में रहने वाले बच्चो के साथ भी खेलना पसंद नही करता था। एल्बर्ट के माता -पिता म्यूनिख रहने लगे थे। बच्चे म्यूनिख की सडको पर सेना की परेड को देखकर उनकी नकल उतारा करते थे जबकि [Albert Einstein] अल्बर्ट सिपाहियों को देखते ही रोने लगता था।

उस समय दुसरे सभी बच्चे बड़ा होकर सिपाही बनने की बात करते थे लेकिन उसकी सिपाही बनने में कोइ रूचि नही थी। अब एल्बर्ट पांच वर्ष का हो गया था और उसके जन्मदिन पर उसके माता-पिता ने मैग्नेटिक कम्पस उपहार में दिया जिसे देखकर वो बहुत प्रसन्न हुआ था। जब उस मैग्नेटिक कम्पस की सुई हमेशा उत्तर दिशा की तरफ रहती तो उसके दिमाग में प्रश्न आते थे कि ऐसा कैसे और क्यों होता है। अल्बर्ट बचपन से ही पढने लिखने में होशियार था लेकिन शिक्षको के साथ उसका तालमेल नही बैठता था क्योंकि वो रटंत विद्या सीखाते थे। अल्बर्ट इसाई नही यहूदी था जिसके कारण स्कूल में इसाई लडके उसे परेशान करते थे इसी वजह से उसके दिमाग में अकेलेपन की भावना आ गयी थी। उसका बचपन में एक ही मित्र बना था जिसका नाम मैक्स टेमले था जिससे वो अपने मन की बाते करता था और तर्कसंगत प्रश्न करता रहता था। एक दिन अल्बर्ट ने मैक्स से पूछा कि “ये ब्रह्मांड कैसे काम करता है ” इसका उत्तर मैक्स के पास नेहे था। इस तरह बचपन से उसका भैतिकी में बहुत रूचि रही थी। एल्बर्ट के चाचा जैकब एक इंजिनियर थ जिन्होंने अल्बर्ट के मन में गणित के प्रति रूचि दिखाई थी।उन्होंने उसे सिखाया था कि जब भी बीजगणित में कुछ अज्ञात वस्तु को ढूँढना चाहते है तो उसे बीजगणित में X मान लेते है और तब तक ढूंढते रहते है जब तक कि पता नही लगा लेते है।

एल्बर्ट जब 15 वर्ष का हुआ तो उसके पिता के कारोबार में समस्याए आ गयी जिसके कारण उन्हें कारोबार बंद करना पड़ा। अब उसके माता पिता उसको जिम्नेजियम स्कूल में दाखिला दिलाकर नौकरी की तलाश में दुसरे शहर चले गये। अब माता पिता के जाने के बाद अल्बर्ट उदास रहने लगा और उसका पढाई में ध्यान नही लगा इसलिए वो भी अपने परिवार के पास इटली चला गया। इटली में उसने बहुत सुखद समय बिताया उसके बाद सोलह वर्ष की उम्र में अल्बर्ट को स्विज़रर्लैंड के एक स्कूल में पढने के लिए रखा गया। यहा पर उसने भौतिकी में गहरी रूचि दिखाना शुरू कर दिया और उसे योग्य अध्यापक भी मिले।यही पर उन्होंने सापेक्षता का सिद्धांत का पता लगाया था। एल्बर्ट ने ज्यूरिख से स्नातक की डिग्री प्राप्त की थी।

★★ अल्बर्ट आइन्स्टाइन अध्यापक के रूप में -

स्नातक की डिग्री लेने के बाद उन्होंने विद्यार्थियों को पढ़ाने के बारे में विचार किया लेकिन अल्बर्ट के अधिक ज्ञान की वजह से प्रारम्भ में उन्हें नौकरी नही मिली। सन 1902 में अल्बर्ट आइन्स्टाइन को स्विज़रलैंड के बर्न शहर में एक अस्थाई नौकरी मिल गयी। अब उन्हें अपने शोध लेखो को लिखने और प्रकाशित कराने का बहुत समय मिला। उन्होंने डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त करने के लिए मेहनत करना शुरू कर दिया और अंत में उन्हें डाक्टरेट की उपाधि मिल ही गयी।

★★ अल्बर्ट आइन्स्टाइन वैज्ञानिक के रूप में -

ज्यूरिख विश्वविद्यालय में उनको प्रोफेसर की नियुक्ति मिली और लोगो ने उन्हें महान वैज्ञानिक मानना शुरू कर दिया। सं 1905 में 26 वर्ष की आयु में उन्होंने सापेशिकता का सिद्धांत प्रतिपादित किया जिसने उन्हें विश्वविख्यात कर दिया। इस विषय पर उन्होंने केवल चार लेख लिखे थे जिन्होंने भौतिकी का चेहरा बदल दिया। इस सिद्धांत का प्रसिद्ध समीकरण E=mc2 है जिसके कारण ही परमाणु बम बन सका। इसी के कारण इलेक्ट्रिक ऑय की बुनियाद रखी गयी। इसी के कारण ध्वनि चलचित्र और टीवी पर शोध हो सके। आइन्स्टाइन को अपनी इसी खोज के लिए विश्व प्रसिद्ध नोबल पुरुस्कार मिला था। सारा संसार आइन्स्टाइन की प्रशंशा करने लगा और जगह जगह पर समारोह आयोजित किये जाने लगे। इतना सब कुछ होने के बाद भी वो हमेशा नम्रता से रहते थे। आइन्स्टाइन विश्व शान्ति और समानता में विश्वास रखते थे इसी कारण उन्हें गांधीजी की तरह महान पुरुष कहा जाता था। आइन्स्टाइन को अपने जीवन में सबसे ज्यादा दुःख तब हुआ जब उनके वैज्ञानिक अविष्कारों के कारण बाद में परमाणु बम का आविष्कार हुआ था जिससे हिरोशिमा और नागासाकी जैसे नगर ध्वस्त हो गये थे।

★★ आइन्स्टाइन का परिवार -

1903 में अल्बर्ट आइन्स्टाइन का विवाह मिलवा मैरिक हे हुआ था। उनके यहा दो पुत्रो एल्बर्ट और एडूआई ने जन्म लिया था। आइन्स्टाइन के विवाह से पहले भी के पुत्री थी जिसे आइन्स्टाइन ने गोद लिया था लेकिन उसकी बचपन में ही मौत हो गयी थी। 14 फरवरी 1919 ने उनका मैरिक से तलाक हो गया और इसी वर्ष में उन्होंने दुसरी शादी कर ली थी। उनकी दुसरी पत्नी का नाम एलसा था लेकिन वो भी 1936 में चल बसी। वैसे भी उनकी पारिवारिक जीवन में रूचि कम थी और अपना ज्यादातर समय अपनी वैज्ञानिक खोजो में लगाते थे।

★★ आइन्स्टाइन की मृत्यु -

18 अप्रैल 1955 में महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइन्स्टाइन की अमेरिका के न्यू जर्सी शहर में मृत्यु हो गयी। वह अपने जीवन एक अंत तक कार्य करते रहे उअर मानवता की भलाई में उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया था। इतना सब होने के बाद भी वो किसी के घनिष्ट मित्र नही बन सके क्योंकि उनका लक्ष्य हमेशा सृष्टि को जानने का रहा था।आइन्स्टाइन की प्रतिभा से प्रभवित होने के कारण मृत्यु के बाद उनके दिमाग का अध्यययन किया गया लेकिन कुछ विशेष तथ्य हाथ नही आये।

Friday, December 29, 2017

Walt Disney Biography in Hindi वाल्ट डिज्नी की जीवनीBy deshhindi.com

Micky mouse ये नाम किसी  भी इंसान से अनजाना नही हे़ै. शायद ही कोई इंसान होगा जिसने बचपन मे ये cartoon ना देखा हो आज मे आपको Micky mouse के रचेता Walt Disney की Biography in Hindi वाल्ट डिज्नी की जीवनी की कहानी

★★★ वाल्ट डिज्नी का जन्म 5 सितम्बर 1901 को शिकागो में हुआ था। वो पांच भाई बहन थे। वाल्ट डिज्नी को बचपन से ही चित्रकला का बहुत शौक था। उन्होंने 7 वर्ष की आयु में ही अपना पहला चित्र अपने पडौसी को बेचा था। स्कूल के दौरान उन्होंने चित्रकला और फोटोग्राफी सीखी और एक पत्र के सम्पादक भी रहे। उन्होंने अकैडमी आफ फाइन आर्ट्स के रात्रि स्कूल में दाखिला ले लिया। स्नातक की उपाधि पाने के बाद वो सेना में जाना चाहते थे लेकिन कम उम्र की वजह से नही जा सके। इसके बाद वाल्ट डिज्नी रेडक्रॉस में शामिल हो गये और एम्बुलेंस चलाने लगे। कहते है कि उन्होंने एम्बुलेंस को रंग-बिरंगे कार्टूनों से सजा रखा था। कानवास सिटी लौटने के बाद उन्होंने विज्ञापनों के लिए कार्टून बनाना शूरू कर दिया। 1920 में वो कार्टून एनिमेटर बन गये। उन्होंने कड़ी मेहनत से ऐसी प्रक्रिया तैयार कर ली जिससे लाइव एक्शन और एनीमेशन का खुबसुरत मेल था।

कुछ वर्ष बाद वाल्ट डिज्नी अपनी ड्राइंग सामग्री और एक सम्पूर्ण एनीमेशन फिल्म में साथ हॉलीवुड आ पहुचे। तब तक वे अपनी एक कर्मचारी लिलियन से विवाह कर चुके थे और उनकी जुड़वाँ पत्निया थी। 1928 में वो मिक्की माउस पात्र के साथ सामने आये। उन्होंने “Plane Crazy ” नामक पहला मूक कार्टून बनाया। फिल्मो में उस समय तक आवाज की तकनीक विकसित नही हुयी थी। “स्टीम बिली ” में उन्होंने मिक्की माउस को एक स्टार की तरह पेश किया। 18 नवबर 1928 को न्यूयार्क में यह कार्टून दिखाया गया।

वाल्ट डिज्नी वाल्ट एक स्वप्नदर्शी अन्वेषक थे। वो अपने बेहतरीन एनीमेशन फिल्मो के लिए जुटे रहे। सिली सिफ्नीज के दौरान टैक्नीकलर एनीमेशन सामने आया। 1932 में “Flowers and Trees ” के लिए उन्होंने बत्तीस में से पहला निजी एकादमी पुरुस्कार जीता। 21 सितम्बर 1933 को उनकी पहली लम्बी एनीमेशन फिल्म “Snow White and Seven Dwarfs ” लोस एंजेल्स के “कैरेथे सर्किल थिएटर ” में दिखाई गयी। फिल्म काफी महंगी थी परन्तु इतनी लोकप्रिय हुयी अपने व्यय से कही ज्यादा धनोपार्जन किया। व अब भी “Motion फिल्म Industry” की सबसे बड़ी फिल्म मानी जाती है। अगले पांच सालो में “पिनोकियो ” “फंतसिया” “डम्बो” और “बाम्बी ” जैसी सफल फिल्मे बनाई। वाल्ट डिज्नी वाल्ट डिज्नी ने इन फिल्मो के अलावा टीवी के लिए भी कई सफल पारिवारिक शो तैयार किये। 50 के दशक में “Mickey Mouse Club ” और “जोरो ” काफी लोकप्रिय रहे।

वाल्ट डिज्नी ने अपनी कल्पना से विश्व को आश्चर्य में डाल दिय। उन्होंने पुरी दुनिया से 950 से भी अधिक पुरुस्कार एवं सम्मान प्राप्त किये। उन्हें सात अकादमी और सात एमी पुरूस्कार पप्राप्त हुए। अनेक जाने माने विश्वविध्यालय ने उन्हें मांनद उपधिया प्रदान की। 1955 में उन्होंने 17 मिलियन के निवेश से “DisneyLand” तैयार किया। 1980 तक 250 मिलियन लोग वहा जा चुके थे। पुरी दुनिया की गणमान्य हस्तिया वहा जाकर मनोरंजन करने का सौभाग्य पा चुकी है। वाल्ट सही मायनों में कल्पना के जादूगर थे। 15 दिसम्बर 1966 को वाल्ट डिज्नी का निधन हो गया।

Wednesday, December 27, 2017

Henri ford biography and success story of ford-हेनरी फोर्ड का जीवन और सफलता की कहानी


★★★ हेनरी फोर्ड एक अमेरिकन उद्योगपति, फोर्ड मोटर कंपनी के संस्थापक और मास (Mass) उत्पादन असेंबली लाइन के स्पोंसर भी थे। फोर्ड ने पहली ऑटोमोबाइल कंपनी विकसित की और निर्मिती भी की जिसे अमेरिका के मध्यम वर्गीय लोग भी आसानी से ले सकते थे। उनके द्वारा निर्मित ऑटोमोबाइल कंपनी को उन्ही के उपनाम पर रखा गया था और जल्द ही इस कंपनी ने पूरी दुनिया में अपनी पहचान बना ली और साधारण ऑटोमोबाइल कंपनी ने जल्द ही बहुमूल्य कार बनाना शुरू किया और 20 वी शताब्दी में अपनी एक प्रभावशाली छाप छोड़ी। इसके बाद उन्होंने मॉडल टी नामक गाड़ी निकाली जिसने यातायात और अमेरिकी उद्योग में क्रांति ला दी। फोर्ड कंपनी के मालक होने के साथ ही दुनिया के सबसे धनि और समृद्ध लोगो में से एक थे।

उन्हें “फोर्डीजम” की संज्ञा भी दी गयी थी। फोर्ड अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी व्यापकता को बढ़ाना चाहती थी इसीलिए उन्होंने अपनी गाडियों की कीमतों में कमी कर बहुत से ग्राहकों को आकर्षित भी किया था। इसके बाद फोर्ड की फ्रेंचाईसी भी उत्तरी अमेरिका के बहुत से भागो में खोली गयी। उन्होंने अपनी अधिकांश संपत्ति भी फोर्ड फाउंडेशन के नाम पर कर दी थी और ऐसी व्यवस्था भी करा दी थी की वह स्थायी रूप से उनके ही परिवार के नियंत्रण में बनी रहे।

★★ प्रारंभिक जीवन –

हेनरी फोर्ड का जन्म 30 जुलाई 1863 को मिशिगन के ग्रीनफ़ील्ड फार्म में हुआ था। असल में उनका परिवार इंग्लैंड के सॉमरसेट से था। फोर्ड के 15 साल की आयु में ही उनके माता-पिता की मृत्यु हो गयी थी। हेनरी फोर्ड के भाई-बहनों में मार्गरेट फोर्ड (1867-1938), जेन फोर्ड (1868-1945), विलियम फोर्ड (1871-1917) और रोबर्ट फोर्ड (1873-1934) शामिल है। किशोरावस्था में उनके पिताजी ने उन्हें एक जेब घडी दी थी। 15 साल की आयु में फोर्ड पूरी तरह गिर चुके थे लेकिन दोस्त और पड़ोसियों की सहायता से वे फिर उठकर खड़े हुए और घडी ठीक करने वाले के रूप में उन्होंने अपनी पहचान बनायी। परिस्थिति को देखकर उनके पिता उन्हें पारिवारिक फार्म देना चाहते थे लेकिन फोर्ड को फार्म पर काम करना पसंद नही था। बाद में उन्होंने लिखा की, “मुझे कभी भी फार्म से प्यार ही नही था – बल्कि फार्म में काम करने वाली मेरी माँ से मुझे प्यार था।” 1879 में जेम्स एफ। फ्लावर & ब्रदर्स और बाद में 1882 में ड्राई डॉक कंपनी के साथ काम करने के लिये उन्होंने घर छोड़ दिया था। बाद में उन्होंने वेस्टिंगहाउस में भी स्टीम इंजन पर काम किया। इस समय में फोर्ड ने गोल्डस्मिथ, ब्रायंट & स्ट्रेटन बिज़नस कॉलेज में बुककीपिंग का भी अभ्यास किया था।

★★ विवाह और परिवार –

फोर्ड ने क्लारा जेन ब्रायंट (1866-1950) से 11 अप्रैल 1888 को हुई थी और उनकी पत्नी की सहायता से ही वे एक सॉमिल भी चलाते थे।

 

★★ उनका एक बेटा भी है :

एड्सेल फोर्ड (1893-1943)।

 

★★ करियर –

1891 में फोर्ड एडिसन ज्ञानवर्धन कंपनी के इंजिनियर बने। 1893 में मुख्य इंजिनियर के रूप में उनका प्रमोशन होने के बाद उनके पास पर्याप्त समय और पैसे दोनों थे। और तभी उन्होंने गैसोलीन इंजन पर खोज करना भी शुरू किया। उनकी यह खोज 1896 में पूरी हुई और उन्होंने एक गाड़ी का भी निर्माण किया जिसका नाम फोर्ड क्वैडसाइकिल रखा गया था। उन्होंने 4 जून को इसका सफल प्रशिक्षण भी किया था। बहुत सी टेस्ट ड्राइव के बाद फोर्ड ने अपनी क्वैडसाइकिल में बहुत से सुधार भी किये।

1896 फोर्ड ने एडिसन के एग्जीक्यूटिव की मीटिंग भी अटेंड की, वहाँ उनका परिचय थॉमस एडिसन से हुआ था। वहाँ उन्होंने फोर्ड ऑटोमोबाइल के प्रोजेक्ट को सभी के सामने रखा। एडिसन ने उनके इस प्रोजेक्ट को सराहना भी की और फोर्ड के आकार और गाड़ी बनाने का काम भी 1898 में पूरा हुआ। डेट्रॉइट लंबर बैरन विलियम एच. मर्फी की पूँजी के समर्थन से चलने वाले फोर्ड ने एडिसन कंपनी से इस्तीफा भी दे दिया था और 5 अगस्त 1899 को नयी डेट्रॉइट ऑटोमोबाइल कंपनी की स्थापना भी की थी। उस समय पहले कम गुणवत्ता वाली गाडियों के निर्माण में भी बहुत लागत लगती थी इसी वजह से उनकी कीमत भी ज्यादा होती थी। इसी वजह से इस कंपनी को सफलता नही मिल सकी और जनवरी 1901 में कंपनी खत्म हो गयी थी। बाद में सी. हेरोल्ड विल्स की सहायता से फोर्ड को फिर से डिजाईन किया गया, इसे पुनर्निर्मित किया गया और सफलतापूर्वक अक्टूबर 1901 में 26 हॉर्सपावर के साथ चलाया गया था। इसी सफलता के साथ मर्फी और दुसरे सहकर्मियों ने डेट्रॉइट ऑटोमोबाइल कंपनी को बदलकर हेनरी फोर्ड कंपनी की स्थापना 30 नवम्बर 1901 को को की थी, जिसकी फोर्ड मुख्य इंजिनियर थे।

1902 में फोर्ड के कंपनी छोड़कर चले जाने के बाद मर्फी ने फिर से कंपनी का नाम बदलकर किडिलैक ऑटोमोबाइल कंपनी रखा। 1902 में ही 8+ हॉर्सपावर के साथ फोर्ड ने साइकिलिस्ट कूपर के साथ मिलकर रेस “999” में जीत भी हासिल की। इसके बाद फोर्ड को एलेग्जेंडर व्हाय। मलकोम्सों का समर्थन मिला जो डेट्रॉइट के ही कोल्-डीलर थे। उन्होंने पार्टनरशिप में फोर्ड & मलकोम्सों लिमिटेड की स्थापना भी की जो ऑटोमोबाइल का उत्पादन करती थी। इसके बाद फोर्ड बहुमूल्य गाडियों के निर्माण और उन्हें डिजाईन करने में लग गये।

★★ रोचक बाते –

1. अल्दौस हक्सले के ब्रेव न्यू वर्ल्ड (1932) में फोर्डीस्ट का आयोजन किया। और तभी फोर्ड ने अपने पहले मॉडल टी का भी अनावरण किया।

2. ओप्टन सिंक्लैर ने 1937 में फोर्ड की काल्पनिक कहानी का वर्णन अपने नॉवेल दी फ्लिवर किंग में किया था।

3. बहुत से इतिहासिक नॉवेल में फोर्ड का उपयोग किसी व्यक्तिगत चरित्र को दर्शाने के लिये भी किया गया था, जिसने मुख्य रूप से इ।एल। डोक्टोरो का रागटाइम (1975) और रिचर्ड पॉवर का नॉवेल थ्री फार्मर ऑन दी वे ऑफ़ डांस (1985) शामिल है।

4. 1986 में रोबर्ट लकी की बायोग्राफी में फोर्ड, उनके परिवार और उनकी कंपनी तीनो का ही वर्णन था और उसका शीर्षक था, “फोर्ड : दी मैन एंड दी मशीन” इस किताब को 1987 में अपनाया गया था।

5. 2005 में इतिहासिक उपन्यास दी प्लाट अगेंस्ट अमेरिका में फिलिप रोथ ने फोर्ड को एक बहुदिमागी व्यक्तित्व भी बताया था।

6. ब्रिटिश लेखक डगलस गालब्रेथ ने फोर्ड के शांति जहाज का उपयोग उपन्यास किंग हेनरी (2007) के मौत की जगह के रूप में किया था।

7. 2008 में ही फोर्ड ने दुनिया में अपनी पहचान बनवा ली थी और दुनिया की सबसे कीमती और बहुमूल्य गाड़िया बनाने वाली कंपनियों में भी शामिल हो गयी।

8. 1946 में वे ऑटोमेटिव हॉल ऑफ़ फेम भी रह चुके है।

9. समस्वर संगीतकार फेर्ड़े ग्रोफ़ ने हेनरी फोर्ड के सम्मान में एक टोन कविता की रचना भी की थी।

Saturday, December 23, 2017

अलीबाबा ग्रुप के मालिक जैक मा की सफलता की कहानी और संघर्ष की दास्तान The History Of Alibaba Faundar


★★★ अगर देखा जाए तो दुनिया में रोज बहुत सारे लोग नौकरी से निकाले जाते हैं या नौकरी पाने के लिए कंपनियों के दरवाजे खटखटाते हैं। उनमें से कुछ लोगों को नौकरी मिलती है और कुछ को नहीं। लेकिन दुनिया में कुछ लोग ही ऐसे होते हैं जो नौकरी न मिलने पर खुद की कंपनी खोलने के बारे में सोचते हैं। इन्हीं लोगों में से एक जुनूनी, मेहनती, काम करने के लिए एक हद तक पागल व्यक्ति का नाम जैक मा है जो चीन के सबसे अमीर लोगों में से एक हैं। जिन्होने चीन की सबसे बड़ी ई कॉमर्स साइट(E Commerce Site) अलीबाबा का निर्माण किया। एक बार KFC में नौकरी के लिए जब KFC पहली बार जैक मा का शहर में आया था। इस नौकरी के लिए 24 लोगो ने आवेदन किया था जिसमे से 23 लोगो को चयन हो गया लेकिन एकमात्र जैक मा का चयन नही हुआ। आप इसी बात से अंदाज़ा लगा सकते की उन्होने अपने जीवन मे कितनी ठोकरे खाई हैं। आइए जानते हैं जैक मा का अर्श से पर्श तक जाने की कहानी।

★★ प्रारंभिक जीवन / पृष्टभूमि -

जैक मा का जन्म 10 सितंबर 1964 को चीन के ज़ेजिआंग प्रान्त के हन्हाजु गाँव में हुआ था। जैक मा के माता-पिता का पारम्परिक नाटक और कहानिया सुनाने का काम किया करते थे इसी से इनकी जीविका चलती थी। जैक मा को बचपन से ही अंग्रेजी सीखने की इच्छा थी। अंग्रेजी सीखने के लिए उन्होंने किसी शिक्षक का सहारा नहीं लिया। वे प्रतिदिन सुबह साइकिल से घर के पास की होटल पर जाते थे जहाँ अक्सर विदेशी नागरिक ठहरते थे। जैक मा शुरवात में उनके साथ टूटी फूटी अंग्रेजी में बात करते थे क्योंकि चीन में चीनी मुख्य भाषा थी और अंग्रेजी सीखना जरुरी नही माना जाता था। अब वो अपने खाली समय में विदेशी लोगो को मुफ्त में शहर का गाइड करते थे। जिससे उनकी प्रेक्टिस भी होती थी और उनकी अंग्रेजी में भी सुधार होता गया। उन्होंने नौ सालो तक यही काम किया। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि इस दौरान उन्होंने ना केवल अंग्रेजी सीखी बल्कि पश्चिमी लोगों के तकनीक और स्टाइल को भी सीखा।

इन विदेशियों को गाइड करते समय एक विदेशी मित्र से उनकी गहरी मित्रता हो गयी। जो जाने के बाद उन्हें पत्र लिखा करता था और उसी विदेशी मित्र ने उन्हें “जैक” नाम दिया क्योंकि चीनी में उनका नाम बोलना और लिखना बड़ा कठिन था। तब से उनको जैक के नाम से ही जाना जाता है। हालांकि जैक मा पढाई में बिलकुल अच्छे नहीं थे वो पांचवीं कक्षा में ही दो बार फेल हो गए थे। और आठवीं कक्षा में भी वो तीन बार फेल हो गए थे। बाद में बड़े होने पर जब उन्होंने विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा दी तो तीन बार इस परीक्षा में फेल हो गये। प्रसिद्ध हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने उन्हें 10 बार रिजेक्ट किया। उसके बाद जैक ने हंजाऊ टीचर्स इंस्टिट्यूट में दाखिला लिया, जहा से 1988 में उन्होंने अंगरेजी में स्नातक परीक्षा उतीर्ण की। स्कूल के दौरान जैक को विद्यार्थी परिषद का अध्यक्ष चुना गया था। स्नातक के बाद में वो हंजाऊ यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी और अन्तराष्ट्रीय व्यापार के लेक्चरर बन गये।

★★ करियर की शुरुवात -

जैक मा ने करियर की शुरुवात काफी कठिन और चुनौतीपूर्ण रहा। जैक मा ने 30 अलग अलग जगहों पर नौकरी के लिए आवेदन किये लेकिन हर बार उन्हें निराशा ही हाथ लगी। जैक मा सबसे पहले एक पुलिस की नौकरी के लिए आवेदन किया था लेकिन ढीला-ढाला देखकर उन्हें साफ मना कर दिया। इसके बाद उन्हे केएफसी(KFC) ने भी रिजेक्ट कर दिया। जैक इंटरनेट की दुनिया में बिजनेस करने से पहले एक ट्रांसलेशन कंपनी चलाते थे। 1994 में जैक मा ने पहली बार इन्टरनेट का नाम सूना। जिसके बाद वे अमेरिका गए और वहां उन्होंने इंटरनेट देखा और उन्होंने सबसे पहला शब्द इंटरनेट पर Beer (भालू) टाइप किया। उनके सामने कई देशों के बीयर ऑप्शन दिखे लेकिन चाइनीज बीयर नहीं दिखा। अगले बार उन्होंने चीन के बारे में सामान्य जानकारी ढूंढने की कोशिश की लेकिन फिर वो चौंक गये कि चीन को कोई जानकारी इन्टनेट पर उपलब्ध नही थी। अपने देश की जानकारी इंटरनेट पर ना होने से जैक को काफी दुखी हुई। क्योंकि इससे उन्हें लग गया था कि चीन तकनीकी क्षेत्र में अन्य देशो से काफी पीछे है।

इसी वजह से उन्होंने अपने दोस्तो के साथ मिलकर चीन की जानकारी देने वाली पहली वेबसाइट “अग्ली” (Ugly) बनाई। इस वेबसाइट के बनाने के महज पांच घंटो के अंदर उन्हें कुछ चीनी लोगो के ईमेल आये जो जैक के बारे में जानना चाहते थे। तब जैक मा को एहसास हुआ कि इन्टरनेट से बहुत कुछ किया जा सकता। 1995 में जैक मा ,उनकी पत्नी और दोस्तों ने मिलकर 20,000 डॉलर इखट्टे किये और एक कम्पनी की शुरुवात की। इस कम्पनी का मुख्य काम था दुसरी कंपनियों के लिए वेबसाइट बनाना। उन्होंने अपनी कम्पनी का नाम “चयना येल्लो पेजस” (China Yellow Pages) रखा था। इस कंपनी को शुरू करने के लिए जैक ने अपनी बहन से पैसे उधार लिए थे। लेकिन यह कंपनी फेल हो गई। इसके बाद उन्होंने चीन की कॉमर्स मिनिस्ट्री में काम किया जिसमे वे अध्यक्ष पद मे थे। कुछ दिनों के बाद नौकरी छोड़ दी, जिसके बाद वे अपने घर हैंग्जू चले गए और जहा उन्होंने अपने 17 दोस्तों के साथ मिलकर अलीबाबा (Alibaba) की शुरुआत की। अलीबाबा कंपनी की सफलता का अंदाजा इसी बात से लगया जा सकता है कि इस कंपनी ने अपना आईपीओ 4080 रुपए (68 डॉलर) पर पेश किया था और मार्केट खत्म होने पर इसकी कीमत 5711 रुपए (93.89 डॉलर) हो गई थी. इसे अमेरिका का अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ बताया जा रहा है। उनकी निजी संपत्ति की कीमत करीब 130800 करोड़ रुपए है। Global e-commerce system को सुधारन के लिए 2003 में जैक मा ने Taobao Marketplace की स्थापना की।

जिसके बढ़ते प्रभाव को देखते हुए eBay ने इसे खरीदने का ऑफर दिया। लेकिन जैक मा ने eBay का प्रस्ताव ठुकरा दिया और इसकी बजाय उसने याहू (Yahoo) के को-फाउंडर जेरी से 1 बिलियन डॉलर की सहायता ली। चीन के सबसे अमीर इस व्यक्ति ने एक वक्त ऐसा भी देखा था जब उन्हें केएफसी (KFC) ने नौकरी देने से मना कर दिया था अभी की हकीकत यह है कि अलीबाबा.कॉम (Alibaba.com) के नाम से मशहूर यह कंपनी दुनिया भर के 190 कंपनियों से जुड़ी हुई है। अलीबाबा.कॉम वेबसाइट के अलावा तओबाओ.कॉम (Taobao.com) चलाती है जो चीन की सबसे बड़ी शॉपिंग वेबसाइट है। इसके अलावे चीन की बड़ी जनसंख्या को इनकी वेबसाइट तमल्ल.कॉम (Tmall.com) ब्रांडेड चीजें मुहैया कराती हैं। यही नहीं, चीन में ट्विटर जैसी सोशल मीडिया सिना वाइबो (Sina Weibo) में भी इस कंपनी की बड़ी हिस्सेदारी है। इसके साथ ही यूट्यूब जैसी वीडियो शेयरिंग वेबसाइट यौकू टुद्ौऊ (Youku Tudou) में भी इसकी अहम हिस्सेदारी है। ये कंपनियां मार्केटिंग, क्लाउड कंप्यूटिंग और लोजिस्ट सेवाएं देती हैं। अलीबाबा कंपनी के शुरुआती दिनों में सिर्फ 18 लोग काम करते थे और अभी करीब 22 हजार लोग काम करते हैं।

★★ निजी जीवन / शादी -

जैक मा ने जेंगयिंग (Zhang Ying) से शादी की थी और उनके एक पुत्र एवं एक पुत्री है। जैक अपनी पत्नी से पहली बार तब मिले जब वो Hangzhou Normal University में पढ़ रहे थे। स्नातक होने के बाद तुरंत 1980 के दशक में दोनों ने शादी कर ली और दोनों ने ही अध्यापक का काम शूरू कर दिया था जैक के बारे में उनकी पत्नी जैंग यिंग का मानना है ‘जैक हैंडसम नहीं है, लेकिन मुझे उनसे इसलिए प्यार हो गया, क्योंकि वे ऐसे कई काम कर सकते हैं जो हैंडसम पुरुष भी नहीं कर सकते’।

★★ सम्मान और पुरूस्कार -

1. 2004 में जैक मा को China Central Television द्वारा Top 10 Business Leaders of the Year चुना गया।

2. 2005 में जैक मा को वर्ल्ड इकनोमिक फोरम द्वारा Young Global Leader चुना गया और फार्च्यून पत्रिका में 25 Most Powerful Business people in Asia में नाम दिया गया।

3. 2007 में बिज़नस वीक पर उन्हें Businessperson of the Year चुना गया।

4. 2008 में जैक मा को World’s Best CEOs की 30 लोगो की लिस्ट में चुना गया।

5. 2009 में टाइम मैगज़ीन द्वारा जैक को विश्व के “100 सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों” की सूची में रखा गया और इसी साल उन्हें फ़ोर्ब्स चीन की तरफ से Top 10 Most Respected Entrepreneurs in China चुना गया।

6. 2010 में जैक मा को फ़ोर्ब्स एशिया द्वारा प्राकुतिक आपदा प्रबधन और गरीबी उन्मूलन कार्यो के लिए Asia’s Heroes of Philanthropy में से एक चुना गया।

7. 2013 में जैक मा को Hong Kong University of Science and Technology द्वारा डॉक्टरेट की उपाधि दी गयी।

8. 2014 में फ़ोर्ब्स द्वारा विश्व के पशक्तिशाली व्यक्तियों की सूची में 30वा स्थान दिया गया।

9. 2015 में जैक को The Asian Awards में Entrepreneur of the Year से नवाजा गया।

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