सन 1971 का युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच में एक संघर्ष था हथियारबंद लड़ाई में दोनों मोर्चों पर 14 दिन बाद संपन्न हुआ पाकिस्तानी सेना और पूर्वी पाकिस्तान के बीच की लड़ाई के बाद बंटवारा हुआ और बांग्लादेश का जन्म हुआ 97368 पाकिस्तानी जो पूर्वी पाकिस्तान में थे 79900 पाकिस्तानी सैनिक और अर्थ लष्करी दल और 12000 नागरिकों के साथ दोनों देशों के बीच Batwara खत्म हुआ
राजनीतिक हलचल
लड़ाई शुरू होने के 2 महीने पहले अक्टूबर 1971 में नौसेना अध्यक्ष एसएम नंदा भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मिलने गए नौसेना की तैयारियों को बताने के बाद उन्होंने प्रधानमंत्री से पूछा कि अगर नौसेना पाकिस्तान पर हमला करें तो क्या उसकी राजनीतिक से कोई आपत्ति तो नहीं
इंदिरा गांधी ने हां या ना में जवाब लेने से पहले यह पूछ लिया कि आप ऐसा क्यों पूछ रहे हैं सुनंदा ने जवाब दिया कि 1965 के बाद नौसेना को खास कहा गया था कि भारत की सीमा के बाहर किसी भी तरह के कार्यवाही ना करो इसलिए हमें बहुत सारी परेशानियां उठानी पड़ रहे हैं तो इंदिरा गांधी ने जवाब दिया कि नंदा जी अगर war है war है, चंद्र नंदिनी नंदा ने धन्यवाद किया और कहा कि मैडम मुझे मेरा जवाब मिल गया
युद्ध की रणनीति
दिल्ली से लिफाफे में कराची पर हमला करने की योजना भेज दी गई और 1 December 1971 को सभी युद्धपोतों को हमला करने के आदेश जारी कर दिए गए पूरा वेस्टर्न फ्रिज 2 दिसंबर को मुंबई से कराची की ओर रवाना हो गया और उनसे कहा गया कि जो आपको ऑर्डर के लिफाफे मिले हैं उन्हें युद्ध के थोड़े समय पहले ही खोलें अभी नहीं
योजना थी कि नौसेना का पूरा बेड़ा कराची से 250 किलोमीटर तक दूरी बनाए रखें और शाम होते होते 150 किलोमीटर की दूरी तक पहुंच जाए
और अंधेरे में हमला करने के बाद पौ फटने से पहले अपनी तेज रफ्तार से 150 किलोमीटर दूरी तक आ जाएंगे ताकि पाकिस्तानी बम हमले की सीमा से बाहर आ जाएंगे और हमला रशियन ओसा क्लास मिसाइल bot से किया जाएगा और वो खुद वहां तक नहीं जाएगी उससे नायलॉन की रस्सियों से खींचकर वहां तक पहुंचा जाएगा और ऑपरेशन ड्राई डेट्स के तहत मिसाइलों द्वारा पहला हमला कर दिया गया
सारे मिसाइल bot चार चार मिसाइलों से लैस थी
खेबर डूबा
विजय जरथ की अगुवाई में कराची पर हमला किया गया कराची से 40 किलोमीटर दूर रडार के द्वारा उन्हें कुछ हरकत महसूस हुई और उन्हें एक पाकिस्तानी युद्धपोत अपनी और आता दिखाई दिया यादव ने दुर्घट को आदेश दिया कि वह अपना रास्ता बदले और पाकिस्तानी जहाज पर हमला करें , दुर्घट ने 20 किलोमीटर दूर से पाकिस्तानी जहाज पर मिसाइलें छोड़ दी और पाकिस्तानियों को लगा क्यों उनकी तरफ आता हुआ मिसाइल नहीं पर विमान है और वह लोग मिसाइलों द्वारा हमला करने लगे पर खुद को निशाना बनने से नहीं बचा पाए फिर से 17 किलोमीटर की दूरी पर है एक और बार मिसाइल छोड़ने का आदेश दिया गया और इस बार पाकिस्तानी जहाज गति 0 हो गए और वह डूब गया और लंबी लड़ाई चली इस बारे में मैं आपको कभी और बताऊंगा क्योंकि पोस्ट बहुत लंबा हो जाएगा अब बात करते हैं कुछ मुख्य बात होगी
युद्ध के दरमियान कराची के ऑयल डिपो पर आग लग गई और धुंआ निकलने लगा कराची में लगी ऑयल डिपो की आग को 7 दिन और साथ रात तक नहीं बुझा पाय अगले दिन जब भारतीय वायुसेना उन पर हमला करने गए तो उन्होंने रिपोर्ट कि यह एशिया का सबसे बड़ा बोन फायर था
और कराची पर इतना dhua छा गया कि 3 दिन तक वहां पर सूरज की रोशनी तक नहीं पहुंच पाई
युद्ध का परिणाम
3 दिसंबर 1971 में पाकिस्तान द्वारा भारतीय चौकियों पर हमला करने के बाद भारतीय सेना द्वारा पूरे पाकिस्तान को आजाद कराने का अभियान चलाया गया
भारतीय सेना को ढाका को मुक्त कराने का लक्ष्य रखा ही नहीं गया और इस पर बहुत सारी बातचीत भी हुई
और पिक्चर भागती हुई पाकिस्तानी सेना ने भागते-भागते फुल pull तोड़ती चली गई और भारतीय अभियंता को रोकने की कोशिश की
13 दिसंबर आते आते भारतीय सेना कॉ बांग्लादेश की इमारतें नजर आने लगी थी और अब पाकिस्तान के पास लड़ने के लिए सिर्फ 26400 सिपाही थे और भारतीय सेना के पास 30000 सिपाही वहां पर मौजूद थे पर फिर भी पाकिस्तानी सेना अपना मनोबल खो चुकी थी
1971 के वयुद्ध में सीमा बल और मुक्ति वाहिनी दल ने अहम भूमिका निभाई और पाकिस्तानी सैनिकों से आत्मसमर्पण करवाया
फिर भी यह एकतरफा लड़ाई नहीं थी जमालपुर की ओर भारतीय सेना को बहुत- संघर्ष का सामना करना पड़ा
करीबन डेढ़ करोड़ बांग्लादेशियों ने अपने घरों को छोड़ कर भारत की सीमा पर शरणागति ली और भारतीय वायुसेना ने जगह जगह हमने कर कर पाकिस्तानी सैनिकों को घुटनों पर ला दिया और इसी तरह यह लड़ाई खत्म हुई
तो दोस्तों कैसी लगी हमारी यह जानकारी अगर अच्छी लगी हो तो अपना कमेंट करना ना इस युद्ध में पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया
भूलें.........thank you........